मौसम की तरह बदलते दोस्त को
नहीं दोस्त बनाना चाहिए |
जीवन में आने वाली तकलीफ से,
कभी घबराना नहीं चाहिए |
सच सत्य से रूठने वाले लोगों को ,
कभी मनाना नहीं चाहिए |
जो नजरों से गिर जाए तो उसे ,
कभी उठाना नहीं चाहिए |
पचे जो ना पेट मे खाद्य पदार्थ,
खाना उसे नहीं चाहिए |
बाते जो मानता न हो उसको ,
समझाना नहीं चाहिए |
जहां क्रंदन होता हो वहाँ सदा ,
वहाँ जाना नहीं चाहिए |
कपट करने वालों से कभी भी ,
मित्रता करनी नहीं चाहिए |
अपने सच्चे मित्र से मित्रवत ,
व्यवहार करने चाहिए |
द्वेष करने वाले से प्रतीकार व ,
मित्रो का हित करना चाहिए |
– सुखमंगल सिंह (अवध निवासी )
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