"बालाएं गीत गाएंगी"
कोल भील किरात की बालाएं गाएगी,
तरुवर झूम - झूम प्रेम कहानी सुनाएंगे।
कलियां खिल कर फूल बन फिर लद जाएगी,
आनंद हमारे जीवन के अधीन रह जाएगा।
जब बन देवी - देवता द्रुति गति से आएंगे,
युग - युगों तक मुझसे सुकर्म कार्य कराएंगे।
सुघर शुक सुबह-सुबह मधुर फल फिर
खाएंगे,
और गदगद गिद्ध धरती पर गजब आएंगे!
मयूर कपोत की जोड़ी, तितली, पुनि आएंगी,
स्वर खींचकर चिड़िया चहचहाते गीत सुनाएंगी।
पथिक पथ के सभी उलझे रोड़े सुलझ जाएंगे,
जब गुरुजन परिजन बंधु मिल मंगल गीत सुनाएंगे।।
- सुख मंगल सिंह अवध निवासी
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