समाज को ज्ञानार्जन और बातों के आदान प्रदान के लिए समाचार पत्र का देश में होना उतना ही जरूरी है जितना मनुष्य के लिए पेड़ पौधों की आवश्यकता होती है | बात हम भारत में प्रेस की कर रहे हों तो हमें जाहिर है सदियों पीछे के भारतीय साहित्य की इतिहास का अध्ययन करना होगा | हमें इस बातकी जिज्ञासा जगी की किस समय हमारे देश में समाचार पत्र छापने हेतु प्रेस की स्थापना की गयी | तो पता चला इसाई मशीनरियों ने पहले पहल स्व धर्म प्रचार हेतु भारत के क्षेत्र गोवा में सन १५५० ई. में प्रेस की स्थापना की और दुसरा तमिलनाद जिसे वर्तमान में तमिलनाडू के नाम से जाना जाता है में प्रेस की स्थापना किया था |तीसरे प्रेस की स्थापना मालावार के विपिनकोटा में सन १६०२ इ .में प्रेस कोला गया था |
तनजोर जिले के तिनकोर स्थान में सन १६१२इ . में डेनमार्क की मिशिनरी ने प्रेस स्थापना की थी | अंग्रेजों ने सन १७७९ इ . में कलकत्ते में एक सरकारी प्रेस स्थापित किया |दुखद बात तो यह रही की किसी भी प्रेस में समाचार पात्र नहीं छपता था |
कहा जाता है की भारत में प्राचीन काल में समाचार पत्र नही थे | मुगल काल में अंतिम दिनों में हस्तलिखित समाचार पत्रों का बितरण प्रचलन में था | बहादुरशाह 'सिराजुल अखबार ' और अमीर उमरा 'अखबार नवीस' हस्तलिखित निकलवाता था | अवध के नबाबों के यहाँ सैकड़ों नवीस थे परन्तु वे नहीं छपते थे ,कोई प्रकाशन नहीं था |( हिंदी साहित्य का बृहद इतिहास भाग १६ से साभार )
आज कम्प्यूटर के युग ने तीन दशक से छपाई का काम आसान कर दिया है जब की विविध माध्यमों के प्रयोग से सदियों से किताबें पात्र पत्रिकाएं प्राप्य हो रही हैं |
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Sukhmangal Singh
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