Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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दीपावली पर्व

 

 

झुर- झुर बहत पुरुवैया दीपावली सुहावन |
दीप सबके सजी अनगनैया औ मिठाई लुभावन ||
मंदिर मस्जिद गुरुद्वारा औए भल आसमान सुहावन |
झिलमिल -झिलमिल दीप दिखे टीमटीमात मनभावन ||
कुंजों में ,उपवन में ,शान्ति भवन सुखधाम दिखावन |
गुरुजन -परिजन धन्य ध्येय दीखते गुणगान लुटावन ||
मंदिर का द्वार खोलि हो रहा लक्ष्मी का ध्यान मनावन |
अयोध्या - मथुरा- काशी - प्रयाग धाम मन भावन ||
धनवन्तरि पहले - पहल आए हैं गाँव -गाँव बतावन |
मिट्टी दीप में घी- तेल- बाती जलती ठाँव -ठाँव दिखावन ||
भीतर -बाहर सखि और साजन शोभा हर्ष बढ़त पावन |
रीझ -खीज स्वारथ सब भूलि सुखदायक सुख आया आँगन ||
'मंगल 'छवि निरखत मोहन तन- मन कुंजकुंज दिखता पावन |
छोरी - गोरी दीप जलावत हरि गृह विनोद मनभावन ||

 

 

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Sukhmangal Singh

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