अपनों से साथ रखना ,
केवल गम का इलाज करना |
रिश्तों के पास अपना ,
वे लम्हे निकल- बिकल गये |
जीवन में देखा सपना ,
सभी धू धू के जल जलते गए |
मंगल कहाँ तक जपता,
जब सबके सब फिसल गये |
जिनके लिए हाँफता,
माजरा वे नित पूछते रहे|
सारे गम छोड़ चला ,
तो साथ-साथ लग चले ||
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Sukhmangal Singh
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