" गुरु की महिमा"
गुरु की महिमा है महान
गुरु देता शिष्य को ज्ञान।
भगवान राम ने दीक्षा ली
गुरु वशिष्ट से मिला ज्ञान।।
प्रथम गुरु माता कहलाती
दुनिया का भान कराती।
पशु पक्षी और कीट पतंग
सबका हमें नाम बताती।।
इंसान - जानवर में भेद सिखाती
माता संसार से परिचय कराती।
वह खुद गीले बिस्तर पर सोती
सूखे बिस्तर पर हमें लिटाती।।
पिता ही दूसरा गुरु कहलाता
लोक जगत की पूर्ति करता ।
अध्यापक हमें अनुशासन सिखाता
ऋषि मुनि आध्यात्म ज्ञान बताता।।
कभी बढ़ता नहीं गुरु बिना ज्ञान
धुल जाता गुरु शरण में अज्ञान।
गुरु जी की महिमा जो भी गाता
सुख समृद्धि वह जीवन में पाता।।
जो जीवन में सम्मान दिलाए
ज्ञान का दीपक सदा जलाए।
कथनी करनी में समानता लाए
गुरु वैसा जीवन में अपनाएं।।
जो अंधकार से निकालता हो
दिव्य प्रकाश में ले जाता हो!
रग रग में ब्रह्मा तेज भरता हो
जीवन में गुरु ही वैसा ही हो ।।
- सुख मंगल सिंह
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