Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जाना है तो क्या घबराना

 

जाना है तो क्या घबराना ,कैसे बताऊँ आना -जाना |
चीफ सेक्रेटरी का परवाना ,नहीं चलता कोई बहाना ||
अनुकूल परिस्थिति में आना प्रतिकूल में भी जाना |
युधिष्ठिर हों वा दुर्योधन ,सबका आना सबका जाना ||
घुप अँधेरी रात्रि माना ,सूरज की किरणों का ठिकाना |
सोते बैठे उठते जगते जाना, मरने का केवल बहाना ||
हंसकर जीवन मिला बिताना ,रोकर भी सबको जाना |
जाना है तो क्या घबराना, कैसे ! बताएं आना -जाना ||

 

 

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Sukhmangal Singh

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