बंद कमरे में ,
बैठ हर शक्स को ,
बोल दो ,
बाहर की हवा लेता रहे ?
रहना हो गर कैद ,
घर में तो ,
वेद-कुरआन ,
सदा पढता रहे |
जो सबका मालिक एक हौ ,
हमें पूजते रहना चाहिए !
यह 'मंगल' नहीं ,
इस्लाम कहता !
बेटी अच्छे घर जाय ,
जन्नत मिलती है |
गैर महिलाओं से नजर ,
बचाके चलो !
गर मिल जाय तो ,
शिर झुका के चलो |
सभी के लिए,
खुदाने बनाए आहार!
उसी को केवल ,
तुम खाते चलो ||..
--
Sukhmangal Singh
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