किसान- महान "
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वह गीत गुनगुनाती आती
तुम्हारी याद हमें जब आती |
गउवाँ के हमारे लोगवा
बड़ा महान बानीं
साँवाँ कोदो टामुन मडुवा
और पुरान बानीं !
वासी रोटी गुण घी से
सुबह- नेवान होला !
यही से गउवाँ पहलवान
उसमें जान होला |
*
यहाँ शुद्ध हवा खेती - उपजाऊ
खेती से दुनिया में नाम बाटे |
भारत की धरती में जान बाटे !
गउवाँ के लोगवा, महान बाटें
दुनिया में भारत की पहचान है
हमरा किसान बड़ा महान है |
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मतवाली संध्या पावस की
उतरे अम्बर - झूमें गाये |
खेतों की पकडंडी होकर
बैलों की घंटी से स्वर आये |
तीज और त्यौहार में सखियाँ
मिल मादक गीत मघुर सुनायें|
*
जे सूतल हो भारत के भाई
उन्हें जा जा कर देवें जगाई
इन्द्रपुरी से सुन्दर लगता मेरा
मरुधर -'मंगल' सुखद ग्राम !
रेतीली धरा को भी किसान
सुघर और उपजाऊ बनाये|
*
खेती - किसानी -तकनीक से
कृषक सुन्दर सुभूमि बनायें |
सुबह -शाम प्रभु लगन भजन
लक्ष्मी अवतरित भइल आयें ||
-सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
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