“क्रीड़ा ललित ललाम की “
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श्री राम – लक्ष्मण – जानकी
भरत – शत्रुघ्न हनुमान की
सदा हो जय श्री राम की
जय हो सदा श्रीराम की
नौ लाख वर्ष पहले
चौथा चरण था त्रेता युग का
उच्च रत्न संचित महलों में
जन्म भूमि रहा कलयुग का
बात है मान- सम्मान की
जय हो सदा श्रीराम की
*
इन्द्र की दूसरी अमरपुरी
राजभवन का रंग सुनहला
गगनचुम्बी सतखण्डे गृह में
विविध रत्नों का ढ़ेर था फैला
क्रीड़ा ललित ललाम की
जय हो सदा श्रीराम की
*
ईसा शताब्दी शतक पूर्व
विक्रमादित्य ने मंदिर बनवाया
जन्मभूमि स्थान बताने
तीर्थराज प्रयाग स्वयं था आया
पुण्य फल चारों धाम की
जय हो सदा श्रीराम की
*
भारत में आ गये लुटेरे
जन्मभूमि को जमकर लूटा
लुटेरों ने सब शक्ति लगा दी
लेकिन मूर्ति, मन्दिर न टूटा
कहानी शुरू हुई संग्राम की
जय हो सदा श्रीराम की
*
श्रीराममन्दिर तो बनना ही है
रोक नहीं पायेगा कोई
सभी धर्म – सम्प्रदाय – पंथ का
राम बिना कल्याण ना होई
है आवाज आम – आवाम की
जय हो सदा श्रीराम की |
– सुखमंगल सिंह ,अयोध्या क्षेत्र वासी
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