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क्या भूल जाता तुम्हें

 

" क्या भूल जाता तुम्हें"


आस - पास तू मेरे होता
 दिन सदा एक सा रहता
तो भूल जाता तुम्हें!

काटती राहों में तुझे पाते
आंखों में आंसू नहीं आते
तो भूल जाता तुम्हें!

संवेदनाएं हिलोरे ना लेती
अपरोक्ष रूप से असर न करती
तो भूल जाता तुम्हें।

दुख के बाद सुख ना आता
सहनशीलता का परिचय ना देखा
तो भूल जाता तुम्हें!

हृदय में नमी के हित ना होते
मंगल कामनाओं के झील नमस्ते
तो भूल जाता तुम्हें।

वेद शास्त्र  और पुराण ना होते
सुंदर सुगम संगीत ना बजते
तो भूल जाता तुम्हें!

सत्संग संग में कटुता जड़ता
वाणी में मधुर संचार ना होता
तो भूल जाता तुम्हें!

दुनिया में सर्वश्रेष्ठ विद्या ना होती
पापा चार दिशाओं में गुजरता
तो भूल जाता तुम्हें।

- सुख मंगल सिंह अवध निवासी

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