Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी चाह नहीं

 

"मेरी चाह नहीं "
मेरी चाह नहीं इसकी
बड़ा व्यक्तित्व कहाऊं|
चौबीस घंटे की धुल में
पाथर बन पूजा जाऊं |
सर्दी -गर्मी बरसात में भी
छतरी एक ना पाऊं |
प्रभुता की भले नहीं
मैं लघुता के गीत सुनाऊं ||
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Sukhmangal Singh

 

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