धनबल पर नदियाँ /
लगीं सिकुड़ने आज ?
चौकस पहरा पड़ा/
खूटा -खूटा खाप |
सूख -सिसकती नदी /
गंगा बहे असहाय |
बैठ चौतरा चौचक/
भांग धतूरा खाय |
पापी -पाप दुराचार /
घुल -नदिया -जाय |
अन्न ऊपर डाका पड़ा/
पावन नदिया बहती जाय |
जा बैठा पानी पाताले /
अफसर बैठ-बैठ हर्षाय ?
बढ़ी खाद्द्य पर सव्सीड़ी/
अधमुख अधिकारी मुस्काय !
दसो कनक अँगुलियों में /
नेता बैठे -बैठे खाय ??
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Sukhmangal Singh
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