Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नाथ एक एक कामना

 

 

१- नाथ एक एक कामना
चाहे शिव हों वा राम
धरती पर तो जन्म हुआ
मरने पर हरी-हर धाम |

 


२- सबके पिटा हैं एक
अल्लाह भी नाम !
कोई कहता राम
और कोई भगवान |

 


३- आया हूँ अयोध्या से
चलकर पाँव काशी
पलती प्रकृति भाये
जगन्नाथ अविनाशी |

 


४-विद्या कला और विज्ञान चलि आई ,
हिंदी हृदय ज्यो अपनी रूप दिखाई!
अनीति- अधर्म उन्नति ,नीति पाई ,
प्राची कथानक कवियों ने जब सुनाई |

 

 

 

--
Sukhmangal Singh

 

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