१- नाथ एक एक कामना
चाहे शिव हों वा राम
धरती पर तो जन्म हुआ
मरने पर हरी-हर धाम |
२- सबके पिटा हैं एक
अल्लाह भी नाम !
कोई कहता राम
और कोई भगवान |
३- आया हूँ अयोध्या से
चलकर पाँव काशी
पलती प्रकृति भाये
जगन्नाथ अविनाशी |
४-विद्या कला और विज्ञान चलि आई ,
हिंदी हृदय ज्यो अपनी रूप दिखाई!
अनीति- अधर्म उन्नति ,नीति पाई ,
प्राची कथानक कवियों ने जब सुनाई |
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Sukhmangal Singh
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