Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

पंद्रह अगस्त

 

पंद्रह अगस्त मनाते हैं ,
जय हिन्द चिल्लाते है |
दीवाने आजादी के-
जाने क्यों भूल जाते हैं |
तीस दिसम्बर तिरालिस ,
द्वीप अंडमान भुलाते हैं ||

 

जन-मन की आशाओं पे ,
पानी फेर जाते हैं !
तानाशाही ठीकेदार
लोगों को तडपाते हैं ?
पंद्रह अगस्त मनाते हैं ,
जय हिन्द चिल्लाते है ||

 

सत्य-अहिंसा प्रतिबिम्ब बन,
रक्तित लाश दिखाते हैं !
शान्ति दूत और सादगी ,
संसद में बताते हैं |
श्रृंगार बढाते है |
निज आँगन रस बरसाते ,
माला फूल चढाते हैं |
देश वास्ते लड़ने वाले,
वन्देमातरम गाते हैं ||

 

ऊँची ऊँचाई छूने को ,
पंद्रह अगस्त मनाते हैं ?
चाँद छूने की तमन्ना ,
शान! देश क बढाते हैं |
आजादी- रखवाले वीर,
तिरंगा लहराते हैं |
देश वास्ते लड़ने वाले,
वन्देमातरम गाते हैं ||

 


--
Sukhmangal Singh

 

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ