फटने लगे गोले जबसे विधान सभा के गलियारे से ,
किसका खून नहीं खुलेगा भारत माँ के प्यारों में |
भारत माँ को खंडित करने क सपना जिसने बोया हो ,
लाहौर फतह कर फिर दिखला देंगे भारत के लालों ने |
तू राजपथ पर बैठे सहमत रहते हो सिंहासन को ,
मैं अग्निपथ से लिखता सहमे अग्नि के अंगारों से |
उ जलिया वाला बाग़ नहीं हम बनाने देंगे भारत को ,
गद्दारों - छाती पर सेना गोली मारेगी हथियारों से ?
कश्मीर के पत्थरबाजों पर गोली की बौछार गिरा दो,
जाने क्यों दिल्ली मौन बैठी मुगलाई, लाचारों सी |
लोक सभा में बड्बोली-घोल संसद खुली ऐठी रहने दो,
वंशवाद उ हौ खात्मा होगा तौ और चिराग बुझने तो दो |
घाटी के गद्दारिन की चिंता में चिराग जब बुझने वाला ?
किसका खून नहीं खुलेगा भारत माता के लालों के |
कश्मीर माग रहा हमसे तू पहले तो ले लेने दो ,
अखण्ड भारत का सपना - अपना सिद्ध हमें कर लेने दो ||
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Sukhmangal Singh
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