हंसी -ठिठोली करने वालों
मुझे बताओ
रचना का प्रतिबिम्ब कहाँ है
मुझे दिखाओ
ढोल -मजीरा लेकर
चौकठ-चौकठ ना खांचो
सहनशील यह धरा हमारी
इसे जमकर जांचो
जांचो फिर जांचो
फिर कुछ पाओ
रचना का प्रतिबिम्ब कहाँ
मुझे दिखाओ
आँगन में रौनकता ला दें
ख़ुशी-ख़ुशी हर दीप जला दें
अंधियारे को दूर भगाओ
रचना का प्रतिबिम्ब कहाँ है
मुझे दिखाओ ||
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Sukhmangal Singh
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