Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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रक्षाबंधन

 

धान के लावे सा रखते पास हो ,
दूर रहकर भी देते मेरा साथ हो !
दोनों थाम्हे एक दूजे के हाथ हो
मुश्किलों में करते सुन्दर बात को,
किस्से सुनाने सुनाने को जब याद
हो ! दूर हो कैसे बताऊँ बात को |
एक धागे से बंधे मेरे प्यार हों
पवित्र - पर्व रक्षाबंधन त्यौहार हो |

--
Sukhmangal Singh

 

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