भाँपी गई सत्य बात जो , को मानता नहीं ?
सच कहे 'मंगल' देश में , दुश्मन बड़ा वही |
भूख -प्यास ,जकड़न भल , भ्रमता कहा सही ,
पूजी - मिली प्यार की , ठुकराता चला कहीं |
सम्मान रिश्तों का नहीं , उड़ान आकाशे वही ,
पाश फेस बुक साथ लिए ,हताश जिन्दगी रही |
'मंगल' रिश्तों का सम्मान ,निभाया जिसने नहीं ,
रचनात्मकता फीकी पड़ी ,टिकता नहीं कहीं ||
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Sukhmangal Singh
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