Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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साथी

 

सबको आना -जाना ,
साथी साथ निभाना |


'मंगल 'समीर ठिकाना ,
दुनिया भल अनजाना |


वसंत -पतझड़s आना,
नवेलि बेलि मुस्काना |


फिर भी साथ निभाना ,
लाग्यो s आना -जाना ||


उमहि उमहि घन घेरे ,
आनंद मिलन सुहाना |


मस्त मयूरिन विनोद ,
पपीहा गाये गाना |


मिलन - बिछुरन मोह
वृन्दावन कृपा निधाना |


साथी साथ निभाना ,
दुनिया आना -जाना ||

 

 

Sukhmangal Singh

 

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