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Dr. Srimati Tara Singh
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समाज न बांटो

 

"समाज न बांटो"


लोग सभी समझते सांचौ - सांचौ
तर्क युक्त बात समाज में राखो।
छल छदमों में जनता को आंको
घटिया राजनीति में नहीं बांटो ।

ढका आवरण छल कपट का फेको
झूठा राग समाज में ना भाखो ।
धर्म  - धर्म को आपस में न बांटो
मन के अंदर अपने जा के जाचो।

ताना मार मर्यादाएं मत खांचो
सुबह शाम अनर्गल बात न बांचो।
हिमालय की चोटी ऊंची न आको
आवाज धीरे, शब्द नहीं  भाखो ।

किसी तरह जहां चढ़े बने बांका
 गिरकर बंदशब्द न निकले आंका !
ढांचा चढ़ा  आकाश बन बांका
सभी समझते लोग सोचो सांचा।

- सुख मंगल सिंह




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