Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सपना

 

अपनों को साथ रखना ,
पुरखों का इलाज करना \
रिश्तों के पास से
वे लम्हे निकल बिकल गये |
जीवन में देखा सपना,
सभी धू धू के जल गये|
मंगल कहाँ तलक जपता ,
जब सबके सब फिसल गये|
जिसके लिए नित हांफता ,
माजरे वे नित पूछते रहे !
सारे गम छोड़ चले ,
और संग लग चले |

--
Sukhmangal Singh

 

 

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