“सूरज न होता” !
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कल्पना कर तूँ मानव
सूरज अगर नहीं होता
अंधेरा ही धरती पर होता
जीव ,ठिठुर–ठिठुर कर मरता
पूरी धरा ठन्ढी ही होती
पेड़ नहीं जब रह जाते
पौधे भी भोजन न पाते
पशु भी कहाँ पाते पात |
– सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी
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