Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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वाराणसी :दर्शनीय स्थल

 

 

संसार के बहुचर्चित सांस्कृतिक नगरों में काशी अर्थात वाराणसी की गणना की जाती है |भारत के प्रमुख धर्मों का विकास सोपान काशी को एक प्रमुख धरोहर मानी जाती है |अतएव सभी ऋषियों एवं संतों की दृष्टि से यह नगर आदर्श नगर के रूप में माना जाता है | दर्शन ,साहित्य एवं कला में बेजोड़ यह नगर वैदिक साहित्य ,संस्कृत ,प्राकृत भाषाओं एवं हिन्दी साहित्य के प्रचार -प्रसार में भी अपना अद्वितीय स्थान रहा है |
अर्धचन्द्राकार आकृति में गंगा के पावन तट पर स्थित यह नगर भगवान सूर्य की प्रथम किरणों का दर्शन कराते हुए ,बमभोले की गरिमा को दिनों दिन आगे बढाने में अप्रतिम योगदान देता रहा है | वरुणा एवं अस्सी के बीच स्थित इस नगर की शोभा अद्वितीय रही है | कासी आदि काल से ही सनातनधर्म प्रेमियों की योग स्थली रही है |
आदिकाल से ही शिक्षा सांस्कृतिक एवं धार्मिक दृष्ट से प्रतिष्ठित यह नगरी बाबा विश्वनाथ की प्रिय नगरी है | इस नगरी में शिव पूजन के महत्व को आर्यों तथा अनार्यो ने भली भाँती समझा एवं एकता सूत्र में बंधकर अपनी -अपनी शक्तियों का संबर्धन किया है |
काशी में निम्नलिखित दर्शनीय स्थल हो जो चिर काल से ही काशी की गरिमा को बनाए हुए है |
मंदिर :- काशी का धार्मिक भाव यहाँ के मंदिरों घाटों की शोभा से शत प्रतिशत जुदा हुआ है ,विभिन्न धर्मों के प्रतीक ये मंदिर काशी में अपने-अपने महत्व को अलग-अलग र्प्प्पों में दर्शाते हैं ,यहाँ अनेकानेक मंदिर हैं जिसमें से कुछ प्राचीन जैसे बाबा विश्वनाथ का मंदिर कृति वासेश्व्रर मंदिर आदि | यहाँ के मंदिरों पर बाह्य आक्रमणकारियों द्वारा आक्रमण किया गया ,लूटा गया ,तोड़ा - फोड़ा गया ,उनके स्थानों पर मस्जिदों का निर्माद तक करा दिया गया किन्तु फिर भी आज जो संख्या मंदिरों की काशी में है ,वह अन्यत्र कहीं नहीं ! इसलिए तो इतिहासकारों ने यह मुक्तकंठ से स्वीकार किया है कि काशी के मंदिर कला निर्माण का इतिहास बताना कठिन है | मंदिरों में एक अतिविशिष्ट नाम श्री अन्यपूर्णा देवी का मंदिर है जिसे यह माना जाता है कि इसे मराठों के समय से निर्मित किया गया है ,साक्षी विनायक का मंदिर एवं आदिविश्वेसर के मंदिर यहाँ की प्राचीन धार्मिक धरोहर माने जाते हैं |
काल भैरव का मंदिर ,श्री संकट मोचन ,श्री दुर्गा जी के मंदिर धर्मानुयायियों के प्राणस्वरूप माने जाते हैं |
मंदिरों के नव निर्माण श्रंखला में काशी हिन्दू विश्वविद्द्यालय परिसर में "विश्वनाथ मंदिर ","मानस मंदिर" ,"भारत माता मंदिर ",दर्शनीय हैं |
इसी प्रकार जैनियों के तीर्थकरों से सम्बंधित मंदिर ,चन्द्र प्रभा मंदिर ,श्रेयांसनाथ मंदिर सुपाश्व्नाथ मंदिर और पार्श्वनाथ मंदिर एक धार्मिक दार्शनिक एवं ऐतिहासिक बैभव के रूप में काशी की महिमा का गुणगान कराते हैं |
यद्यपि सकल पाप नाशिनी गंगा के पावन तट पर काशी विराजमान है ,
अतएव घाटों की रमणीय छटा प्राय : देखने योग्य होती है | नदी में नौका विहार करने पर वास्तविकता परिलक्षित होती है |
काशी की घाट परम्परा अति प्राचीन एवं रोचक है | काशी के प्राचीनतम घाटों में -
मर्निकर्निका (मणिकरणीका ) घाट अत्यंत प्राचीन घाट है , इसका निर्माण १७३० में हुआ बताया जाता है यह काशी के पञ्च तीर्थों में से एक तीर्थ है | धार्मिक दृष्टिकोण सिस घाट का महत्व और बढ़ गया है |
दशाश्वमेध घाट काशी के नाम से ही जुडा हुआ है ,जहां लोग स्नान -ध्यान -दान करके पुण्यार्जन करने मेंचूकते ही नहीं | इसके अतिरिक्त अस्सी घाट ,हनुमान घाट ,मीर घाट , संकठा घाट ,हरिश्चन्द्र घाट ,सिंधिया घाट ,एवं अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक काशी में गंगा के किनारे घाट ही घाट हैं , जो काशी के लिए महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं |
शिव लिंग - काशी में शिव लिंगों की एक बड़ी तालिका है जिसमें कहा गया है कियहाँ साठ करोड़ रूद्र रहते हैं ,गुप्त काल के ज्योतिर्लिंगों में हरिश्चन्द्र ,बालेश्वर ,श्रीपर्वत आदि प्रसिद्ध है |
विश्वविद्यालय :- यहाँ पर काशी विश्वविद्यालय , वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय ( संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय ) काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय एवं तिब्बती विश्वविद्यालय नगर को शैक्षिणिक स्थिति का सहज अनुमान लगाने को विवश करते हैं |
इस प्रकार वाराणसी केतना महत्व है कि कहा गया है कि"वाराणसी महापून्या त्रिषु लोकेषु विभुता " जो कि शत प्रतिशत सत्य है ||

 

 


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Sukhmangal Singh

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