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Dr. Srimati Tara Singh
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वेषभाव को त्याग दो

 

द्वेषभाव को त्याग दो-सुखमंगल सिंह——————————————
 सभी धर्म साथ दो औरों को संग लो, 

शक्ति मेरे साथ हो कौशल विकास हो |
वेद -पुराण -उपनिषद समाज में बांच लो,

 शास्त्र -साहित्य का मन वचन से वाक्य दो |
द्वेषभाव त्याग दो शक्ति को निखार लो ,

मितब्यता का हाथ हो पड़ोसियों का साथ दो| 

 शिक्षा सभ्यता परम्परा व् गुरुकुल- मान हो, 

दिल्ली जौनपुर सिंध नालंदा काशी – भान हो|  
नौजवान साथ दो कौशल विकास हो,

 मित्रता साथ  हाथ हो पड़ोस का साथ हो| 

 आओ !शहर -गाँव चलें गाँव में ठाँव लो,  
खुद औद्योगिक नाव दो धरती खुशहाल हो|
अपने कर्म -धर्म से धर्मात्माओं साथ दो, 

तक्षशिला -विक्रमशिला की शिक्षा याद हो|
राष्ट्रीय हर बच्चा -बच्चा मिलकर  साथ हो,

भारत – भारतीय  को विश्व में प्रकाश दो|  
सुगम -सरल भाव हो निखिल हृदय चाव हो ,

क़ानून जो न हाथ लो द्धेष भाव त्याग दो |
मधुर -मनोहर चाव हो शक्ति को निखार दो,

 समाज को सुधार दो जीवन को संवार लो|  
प्राचीन ग्रंथों -परम्पराओं का ज्ञान दो 

सभी धर्म साथ दो और आस -पास हों |

 -सुखमंगल सिंह ,अवध निवासी         


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