कोने – कोने ज्ञान भरें ————————
हरियाली घर आंगन आये दिल से आओ प्यार करें
गगन के पक्षी डाल डाल से कलरव कर गुणगान करें |
कोयल की मीठी वाणी संग कागा बैठा ध्यान करे
भीतर अभिलाषा लेकर मन में कोने – कोने ज्ञान भरें |
लछिमन चिड़िया ‘मंगल ‘ गाए गादी बैठे झाँक लगाए
लाल – गुलाबी, नीली -पीली धानी मानी वसन बनाये |
मूल भूत पाषाण शिलायें उठकर खुद नाम लिखाएं
विविध यतन के दाना डालें उँघे धरातल जाल विछाएँ |
नहीं कहीं कोलाहल हो हरियाली का जाल बिछायें ||
– सुखमंगल सिंह ‘ मंगल ‘ वाराणसी ०९४५२३०९६११
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