Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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"साहित्यकार संदेश देता है"

 

"साहित्यकार संदेश देता है"


साहित्यकार अपनी लिखनी से,
समाज को उत्कृष्ट संदेश देता।
साहित्यकार में वह शक्ति होती,
हताश में आशा का संचार भरता।।

नव निर्माण की साहित्यकार में चाह,
हर दर्द को अपने आंखों में समेटता।
पराजित अवसाद ग्रस्त समाज को,
विजय श्री दिलाने का कार्यकर्ता।।

परिस्थितियां कितनी भी विषम हो,
निराशा में आशा की प्रेरणा देता ।
पूंजीपति व्यवस्था का विरोध करता!
साहित्यकार निर्भय होकर चलता।।

उसकी लेखनी निरंतर चलती रहती,
स्वर्णिम भविष्य का प्रयत्न करता।
शोषण की विरुद्ध जागरूक करता,
आहवान जनता का साहित्य करता।।

समाज में प्रेम की बांसुरी बजाता,
बांसुरी की निकली ध्वनि सुनाता।
राष्ट्र की कुरूपता - मलीनता को,
दूर करने की उत्कृष्ट भावना जगाता।।

उसकी प्रतिभा आंतरिक स्वतंत्रता से,
प्रति छण क्रियाशील ही रहती ।
साहित्यकार की स्वतंत्रता पर लोगों,
 द्वारा प्रश्नचिन्ह खड़ा किया जाता!!

समाज में सांस्कृतिक परिवर्तन की,
साहित्यकार पुरजोर मांग रखता।
नई पीढ़ी को सामाजिक जड़ता से,
मुफ्त कराने के लिए विरोध करता।।

ऊंच-नीच के भाव से ऊपर उठाकर,
बिखरने से वह समाज को बचाता।
दिशाहीन समाज को लीक पर लाता,
एकता अखंडता संप्रभुता सिखाता।।

- सुख मंगल सिंह






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