"आदि शंकराचार्य कलयुग के प्रथम गुरु"कलयुग में साक्षात शिव रूप में अवतरित हुए गुरु आदि शंकराचार्य।दूर किया मानव के भाती भाती कलशों को,आदि शंकराचार्य की तरह आंख मूंदकर हठ और तर्क नहीं करते ।।वे शास्त्रीय ढंग से शास्त्र प्रमाण युक्त बातें करते,सत्य रूप अनुभव और अनुभूतियों से संदेश लोक में देते।शिव के वैभव और शिष्टता को संसार में मुक्त कंठ से बदला आने वाले।।कलयुग में अवतार लेने वाले सिद्ध गुरुओं में से एक,आचार्यों में अद्वितीय है आदि शंकराचार्य।सर्वज्ञान संपन्न महा पंडित जी आदि शंकराचार्य,ब्रह्मा अनुभूति में रमण करने वाले ब्रह्म ज्ञानी।।विभिन्न शक्तियों सिद्धियों से युक्त सिद्ध पुरुष शंकराचार्य,आचार्यों की तरह साधारण पुरुष नहीं थे आदि शंकराचार्य।असत्य बाद से दूर सत्यवादी थे आदि शंकराचार्य,बुद्धि बाद या भ्रांति बाद से अलग अनुभूति बादी आदि शंकराचार्य।।यथार्थवादी गुणों से भरपूर संपन्न आदि शंकराचार्य,आचार्यों की भांत संकुचित होकरदेवताओं की निंदा कभी नहीं किया है शंकराचार्य।शिव की जितनी उपासना किया उन्होंने,उतनी ही जगदंबा विष्णु नरसिंह स्वामी आदि देवताओं की की।।शिवानंद लहरी नामक ग्रंथ की अद्भुत ढंग से लिखा,अद्वितीय शैली की रचना कर रहस्य ज्ञान को व्यक्त किया।।जिस प्रकार ज्ञानी को ज्ञानी ही पहचान सकता,सर्वोत्तम को जिस प्रकार सर्वोत्तम ही पहचान ता।उसी तरह महा ज्ञानी सर्वोत्तम महागुरु आदि शंकराचार्य,देवाधिदेव शिव शंकर स्वरूप है आदि शंकराचार्य।।
- सुख मंगल सिंह अवध निवासी
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