" आत्मा की पुकार "!
जीवन के पन्नों पर तुम प्रीत लिखोगे,
सुंदर सुंदर मधुर मधुर गीत लिखोगे।
जब याद हमारी आएगी मत खोना,
बच्चों की आगे जाकर कभी ना रोना।
प्यार प्रकृति के आंचल से कर लेना,
रोती आंखे कोने में जा रो लेना।
चंचलता का भाव यदि मन में जागे,
किस्से कहानियों को लाकर पढ़ लेना।
क्षणिक सुखों में ही मानव जीवन जीता
सत्यकर्मों को जानकर भी नहीं करता।
झूठ कपट पकड़े पलड़ा ढोता रहता,
निर्मल निष्पाप ह्रदय उसे नहीं भाता।
जब कभी भी किसी का खराब समय आये,
उसका आगे बढ़कर साथ सदा निभायें।
संस्कार में रहकर राह बनाते रहना,
जीन राहों पर चले हो जाएगा गहना।
बुराई की तलाश में कभी न रहना,
खूबसूरत जिस्म छोड़कर सबको जाना।
सुख - समृद्धि हेतु लक्ष्मी की पूजा करना,
विष्णु के चरणों में जाकर शीष झुकाना।
सत्य की खोज में सदा लगे ही रहना,
सच समय को ही युगों - युगों तक गहना।
जो मन में साफ-साफ देवों से कहना,
उन्हीं के हाथ व्यक्ति का जीवन रहना।।
मर्यादा में रहकर जो जीवन जीता,
उसका सुख शांति पूर्वक जीवन बीतता।
हमको- तुमको - सबको यहां से जाना,
मृत्युलोक यह, जाने पर, न पछताना।।
- सुख मंगल सिंह
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