"बचपन की होली याद आवत"
पास पड़ोस सब कोई मिल गावत
मिलकर होली की मस्ती सुनावत।
डी जे पर सवार हो राग निकारत
उसी राग बिहाग पर नांच दिखावत।
बचपन की याद होली में आवत
बसंत पंचमी से होली मनावत।
बचपन को बुलावा माई लगावत
दुलहिन दूल्हा के धुन दुलारावत।
बुकावा की लीझी होली में जलावत
पड़ोसी मंत्र जपें -पंडित बोलावत।
झगड़ा करिके लकड़ी लोग लावत
सूखी लकड़ी मोलौ बाजारू आवत।
पेड़ रेंड का गाड़ी वही सजावत
और गोबर की उपली जुटावत।
होलिका दहन नारेबाजी करावत
प्रहलाद बच गए खुशियां मनाई।
सबेरे आप आए पिचकारी निखार
लाल गुलाब घो रि ऊपर डारत।
होली के मजा गोझिया खिलावत
बचपन की यादें होली में आवत।
भौजी - भैया कैसे ऐसे निहारत
भाभी - देवर की जैसे रंग डारत।
बच्चा जवान बूढ़ होरी हैं गावत
बचपन की यादें होली में आवत।
आप अवधिया आओगी बनावट
पापड़ गोझिया औ खीर बनावत।
लाल गुलाल चंदन माथे लगा वत
मथुरा की होली मजा बहुत आवत।
चैता चनैनी कोई ठुमका लगावत
ढोल मजीरा कहीं तुरूही तासा
गली मोहल्ला फगुआ सुनावत
फसल खुशी में पितर मनावत ।
जीजी से मिलने सरहज घर आवत
जीजा गाल लाल गुलाल लागावत ।
सूरज निसरे बदे भोरवे से धावत
मस्ती में दोनों जून होरी है गावत।
साली सरह मिल ठिठोली लैगावत
दिन में भांग और केशर मिलावट
रात्रि में सोते में पुलिस रूप डरावत
विष्णु की तमन्ना - होली मनावत!
भारतीय परिधान पहन होली गावत
पिया के आंख मारि के हटावत।
जैसे जवान सीमा से दुश्मन भगावत
जीजा -साली गुलाल अबीर लेगावत।
बचपन की होली याद बहुत आवत
रंग औ गुलाल चंदन से होली मनावत
- सुख मंगल सिंह अवध निवासी
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