कैसा मेरा प्यारा बचपन
मां की दृग का तारा बचपन।
सहज स्नेह पौढाती जननी
तन मन पुष्ट बनाती जननी
खग कुल के कलरव सा मधुमय
लोरी हमें सुनाती जननी।
वात्सल्य मधु पान करा कर
मां ने सदा संवारा बचपन
कैसा मेरा प्यारा बचपन
मां की दृग का तारा बचपन।
चंदा मामा पास बुलाती
थपकी देकर हमें सुलाती
कोरा कागज पर अंकित कर
पढ़ना लिखना हमें सिखाती।
सुख में दुख में त्याग समर्पण-
से मां सदा दुलारा करती
कैसा मेरा प्यारा बचपन
मां की दृग का तारा बचपन।।
- सुख मंगल सिंह
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