चटकार साड़ी
चटकार साड़ी
अंधड़ झोके झोकत झंकारे ।
अखियन अरी भरती हुँकारे । ।
अलगन कथरी मचलत हारे ।
सगुन सीढ़ियां लगी बिचारे ।।
अनगल कथरी धरे हमारे ।
अनमन अलवेली है नारे।।
मंत्र वेद विवेकी पुकारे ।
सब सुखद संयमी बढ़त दुआरे ।।
X X X X X
झिलंग खटिया हमार, बहुत साड़ी रंगदार ,लगल पसली पिरोय, करत माई का पुकार ।।
माई करेले पुकार, बहुत हो रहै उपकार ।
बचऊ देत ओढ़ाय, सुखद साड़ी चटकार ।।
ठठरी ते करीं गुहार, दिवला करत अंधियार ।
तनिक देत गुदरी ओढाय, करत माई का पुकार
सुखमंगल सिंह
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