चन्द्रगुप्त और शासन प्रशासन"
-----------------------------------
चन्द्रगुप्त की कुशल नेतृत्व की क्षमता कुशाग्र बुद्धि का परिणाम था कि वह भारतवर्ष के उत्तरी भाग पर एक छत्र राज करने में सफल हो सके।लोग उनका लोहा मान रहे थे। चंद्रगुप्त के काल के पोते ने जन मानस को अपने पक्ष में करके भारत वर्ष सहित दुनिया के तमाम देश के लोगों में उपदेश साधना का प्रचार अभियान चलाया। प्रचार - प्रसार किया।
चन्द्र गुप्त के पोते का नाम महान तेजस्वी सर्वगुण संपन्न अशोक था। अशोक ने खुद ही गौतबुद्ध का धर्म अपना लिया था। जिस धर्म को गौतबुद्ध ने अपने जीवन में अपनाया था उसी का अनुसरण अशोक करने वाले व्यक्ति के रूप में पूजनीय हो गए।इसको चन्द्र गुप्त काल की एक बड़ी चुनौती के रुप में देखा जाता है।
चन्द्र गुप्त का स्वागत, राज्य बिस्तार व बिहार से लेकर पंजाब की सीमा तक फैला था। लद्दाख से आगे सिंध नदी के तट के किनारे किनारे और उस काल में जिसे हम चीन तिब्बत ताइवान के नाम से जानते हैं जहां तक फैला हुआ था। यूनानी आक्रमण कारी से उन्होेंन पाशिचिम ( पश्चिम) एशिया में सिकंदर के उत्तराधिकारी सिल्यूकस से जुद्ध किया जीत कर हिंदू राजाओं का राज्य वापस ले लिया। सि ल्यू कस जिन देशों को जीता था उसे चन्द्र गुप्त को लौटा दिया और अपनी पुत्री का विवाह हिन्दू धर्म के सम्राट से कर दिया।
राजा चंद्रगुप्त का राज्य बिहार से लेकर पंजाब तक फैला हुआ था। बिंबसार चंद्रगुप्त का पुत्र था वही चंद्रगुप्त का उत्तराधिकारी हुआ। ईसा से 260 वर्ष पूर्व बिंबिसार का उत्तराधिकारी प्रसिद्ध सम्राट अशोक हुआ। अशोक भी बहुत प्रतापी राजा के रूप में माना जाता है। बहुत बेकार ईसा से 300 वर्ष पूर्व से लेकर सन 500 ईसवी तक का काल खण्ड का था। चंद्र गुप्त का यवनों से युद्ध हुआ था जिसकी सफलता में उन्हें पंजाब और सिंध प्रांत मिला था | मैसूर से उपलब्ध अभिलेखों के अनुसार चंद्र गुप्त का शिकससरपुर तालुका के अधीन नागर खंड की रक्षा का जिक्र मिलता है जो चौदहनवी सदी से तालुक रखता है | चंद्र गुप्त ने सौराष्ट्र जो वर्त्तमान में गुजरात का क्षेत्र है को भी विजय में हासिल किया था | इसका उल्लेख जूना गढ़ अभिलेख में मिलता है |
सत्य से बड़ा प्रेम होता है सत्य के प्रचार के कारण चंद्रगुप्त साइबेरिया से लेकर लंका तक का सफर तय किया और प्रसिद्धि राजा के रूप में स्थापित हुआ। जबकि अशोक राज्य विस्तार अधिकार उपदेश प्रचार के कारण इतना विख्यात नहीं हो सके जितना चंद्रगुप्त सर्वमान्य हुआ।
चंद्रगुप्त के पास पैदल सेना घुड़सवार सेना की एक सफल टोली थी। उन्होंने व्यापार वाणिज्य खेती की रक्षा की सुरक्षा की और सिंचाई का व्यापक प्रबंध किया। जंगलों की रक्षा के कारण उन्हें विशेष प्रसिद्धि हासिल हुई। एक यूनानी राजदूत ने लिखा है चंद्रगुप्त को शासन सत्ता का विशेष ज्ञान था उनके राज्य में सिंचाई व्यवस्था का समुचित प्रबंध था जिसके कारण उनके राज्य में अकाल नहीं पड़ा था। युद्व भी होता था। युद्ध राज्य के बोई हुई फसल पर ही हुआ करता था परंतु खेती को कोई हानि नहीं पहुंचते। बेटी बहुत अच्छी होती थी। लोग सुखी और समृद्ध होते थे प्रजा खुशहाल थी।
चंद्रगुप्त के हिंदू राज बल और विस्तार जान-माल की रक्षा सिंचाई प्रबंध से आज के हिंदुओं को अभिमान के साथ स्मरण करना चाहिए और उनका अनुकरण करना चाहिए।
- सुख मंगल सिंह,अवध निवासी
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY