"धरा पर मुक्ति धाम "
बरसों से धरा को हमने खूब सजाया,
योग के गुण को दुनियां में दिखाया।
गली मोहल्ला सब को स्वच्छ बनाया,
मर्यादा की रक्षा में आगे बढ़ाने आया।।
महावीर की महिमा का गुणगान गया,
राम जन्मभूमि अयोध्या फिर सजाया।
चक्रवर्ती राजा दशरथ का महल भाया,
दुनिया के वाह वाह सुन मन मुसकाया।
सरयू के तट स्थित दीपोत्सव मनाया,
श्री राम जय जय राम धाम गुण गाया।
विश्वकी प्राचीन पुरी अयोध्या धाम की,
महिमा अपरम्पार बताने श्री राम जी।।
काशी विश्वनाथ मंदिर निर्माण किया,
सड़को पे लाखों लाख प्रकाश डालें !
लगने लगा कि मानो तारे धरा पे आए,
जुगनू की जगमग ज्योति मनको भाए।
ऐसा लगा कि देव लोक मंगल आया,
इंदरलोक सारी खुशियां धरा बिछाया।
ढेर सारा दुनिया की बढ़ी अभिलाषा ,
काशी अयोध्या देखने की भी आशा।।
जन्म भूमि अयोध्या नगरी महान है
काशी विश्वनाथ धाम यात्रा गान हो
सृष्टि के भगवान शंकर निर्गुण ब्रह्म,
श्री राम सबको सन्मति दे भगवान।।
अयोध्या नगरी त्याग तपस्या धाम,
चक्रवाती राजा का करता सम्मान।
जो यहां आकर सरजू करता स्नान,
माता उसकी करती है सदा सम्मान।।
जिसमें गाया श्री राम का गुण गान,
लौकी जगत में उसे मिलता सम्मान।
आनंद समय में जाता है उनके धाम,
जीवन सफल हो गए होता कल्याण।।
- सुख मंगल सिंह
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY