Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गोरा कहें

 
गौरा कहें!

भोला नगरी कजली हरियाली
गोरा कहें कत झूला झूलीं हे रामा।

प्रीत की डोर रहल कजरी सजना
हिया मा दरद बहुत होता हो रामा।

गांव शहर मा कजरी में झूला झूलतीं
नीम के पेड़ों सावन की तीज मनौतीं।

अम्मा दद्दा भैया भौजी कक्का काकी
ननदी - संगवां मिलके हम झूलती।

खूब जमकर हंसी ठिठोली करतीं
घुंघरू बांध कर नाच दिखौतीं।

भोले की नगरी में कजरी मनौतीं
गौरा कहीं कत झूला झूलीं हे रामा।।
- सुखमंगल सिंह


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ