Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

*गीत यही गाते रहें

 

*गीत यही गाते रहें

आप ने ही गीत गुनगुनाते रहें 

हम सदा आपको याद आते रहें 

लोक हित में कार्य मिलकर करें 

बस यही गीत हम सुनाते रहें ||

*थोड़ा पी रहा 

विश्व को समेटे जी रहा 

चीथड़े गरीब का सी रहा 

तन बदन है कर रहा मनमानियाँ 

खुशनुमा मौसम है थोड़ा पी रहा ||

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ