Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हवा ऐसी ना बहे

 




सुखमंगल की डायरी से कुछ मुक्तक

1, हवा ऐसी ना बहे
    लोगों से बात करें
    गुटबाजी छोड़ सारी
    आ मंगल साथ चलें। 

2, यहां घर बसाने की
     सोची हो अगर बात
      गोलों के आज से
      बचाओ अपने आप। 

3, कहीं सूख न जाए
    उसे शहर का पानी
    पीकर अस्पताल में
     तासीर हमनें जानी। 

4, मुसीबत में कोई जो हो
    मदद में आगे हाथ आए
     तभी ये जस्में आजादी
     सही माने में कहलाए। 

5, चलने वाले चल देते हैं
    चलते-चलते कुछ कर देते
    लौकिक जगत में नव निशान
    मंगल सुविधि क यही विधान। 

6, कौन कहता  मैं कवि हूं
    दुख सुख मैं तो सहता
    शास्त्र धर्म की कहते
    दिल में तुझको रखते। 

- सुख मंगल सिंह????

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