जी डोले पिय बोले
पीपल की डाली से बोले पपीहरा
जी डोले जी डोले पिय बोले रे!
जाने क्यों रे पपिया बना बावरा
पीपल की डाली से बोले पपीहरा
जी डोले जी डोले पिय बोले रे!2!
वह भी आया है बनकर बावरा
डाली से लिपटा बोले पपिहरा
पनघट पर पानी भरन जाती में हूं
जी डोले जी डोले पिय बोले रे!2!
राहों में बैठ पपिहा किसको निहारे
मेरा पिया यहीं कहीं हौ का रे
पीपल की डाली से बोले पपीहरा
जी डोले जी डोले पिय बोले रे!2!
मैं हूं बावरी रे प्रेम की प्यासी
मेरे हिया में प्रियतम ना डोले रे
पीपल की डाली से बोले पपीहरा
जी डोले जी डोले पिय बोले रे।2।
-सुख मंगल सिंह
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