"काका हाथरसी"सबको प्रिय - सर्वाधिक चर्चित ,कवि काका हाथरसी।हास्य व्यंग साहित्य पटल पर,प्रकाशित हाथरसी।।जीवन प्रकाशित हुआ हास्य प्रकाश से,अवसाद मिटाने की प्रेरणा दी।जीवन में घटित होने वाली घटना की,काका ने व्यंगात्मक वर्णन की।।उन्होंने चित्र और साइन बोर्ड बनाया,अभिनय नाटक कर दिखाया।होली पुरस्कार पचासी में पाया,पद्मश्री ने सम्मान बढ़ाया।।राजनीतिक नेताओं की भूमिका पर,व्यंग-बाण प्रहार किया।न्यायालय की न्याय प्रक्रिया यही,भ्रष्टाचार पर वार किया !!राजनीतिक गाली गलौज - कुर्सी नामा,साहित्यिक हथियार बना।साहित्यकार - नाटककार, चिरंजीवी ने,काका को हास्य ऋषि कहा।।अकेला व्यंग चुभन करने वाला,हास्य - व्यंग दो पहिया माना।गंभीर - गंभीर विषयों पर हास्य उन्होंने लाना ठाना।।सुनने वाले के अंदर गुदगुदी आये,रचना से जनता को लुभाये।हास्य व्यंग दोनों रचना में दिखाये,लहराती पतंग, रचना लहराये।।विलक्षण सौंदर्य की रचनाएं करते,रचना क्रम में वैविध्य उनमें।सरल सुबोध भाषा काका अपनाए,काका हाथरसी ट्रस्ट बनाए।।यश कीर्ति सीमा लांघ गई उनकी,हिंदी भाषा में बांच गई।काका विद्वान की संगति करते,प्रभुलाल गर्ग नाम लिखते।।संगीत पत्र 53 में प्रकाशित हुआ,चित्रकला में रुचि रखते।संगीत के प्रति खिचाव इनमें,हास्य समर्पण भाव उनमें।।ट्रस्ट कवि ओमप्रकाश आदित्य को,दिया पुरस्कार रू 1001/ प्रथम!युगों युगों तक याद काका आएंगे,व्यास गोपाल प्रसाद कहे थे ।।- सुख मंगल सिंह
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