कलियुगी सच
पहले कार आती, बच्चे दौड़ लगाते
कौन पहले पहुंचेगा, होड़ लग जाती ।
नई तरह की गाड़ी , ख्वाब नया आता
गाड़ी में बैठने को, ठुसम ठूस मच जाता।
बच्चे आपस में कहते, पहले मैं बैठूंगा
पास पड़ोसन में भी, धक्का मुक्की होता।
बदला नया जमाना कुत्ते गाड़ी में रवाना
मनुष्य पैदल भले चलें कुत्ता गाड़ी-जाता।
गाड़ी मालिक कुत्ते को टट्टी कराके लाता
पूजा पाठ में देखो कुत्ते को गोंद में सुलाता।
मलिक जब कभी घर पर ना होते तो कुत्ता
मालकिन के पलंग पर पूछ हिलाते जाता।
तरह-तरह की गाड़ी आई तरह-तरह के कुत्ते
उनके भी रंग ढंग निराले हो गए सभी लुच्चे।
खाकर नमक ह**** करते हो गए सब तुच्छ
मौका पा मलिक को न छोड़ते ये कस सच्चे।
'मंगल' कहते मान जा भाई गौ घर में लाओ
दूध पिलाएगी बच्चों को मक्खन तुमको देगी
बुद्धिमान बच्चे होंगे उन कुत्तों से दूरी बढ़ेगी
तर जाएगी साथ पुस्त ईश्वर से दूरी घटेगा। ।
- सुख मंगल सिंह
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