कावड़ यात्रा सावन में!
भक्तों गायो जिसमें शिव की लय हो
कैलाश पर्वत से जय जय जयघोष हो।
सत्य सनातन के धर्म का झंडा लेकर
बैजनाथ धाम में भी जय जय जय हो।
कावड़ लेकर भक्त हैं निकले भक्ति में
गंगाजल मटके में लेकर शिव शिव बोले।
नंगे पांव भक्त भक्ति को सब निकले हैं
हर हर गंगे बम बम भोले करते चले हैं।
भक्त हैं गाते जिसने शिव की लय होती
कैलाश पर्वत से भी जय जय जय होती।
सुगम राह सरकार बनाकर रक्षा हेतु
जगह-जगह भक्तों को जलपान करती।
चलने वाले रास्ते को भी साफ करती है
पुलिस और सिक्योरिटी का पहरा बैठाई।
भक्त चलते कावड़ ले भोले बाबा कहते
बैजनाथ धाम बाबा की जय जय करते।
जनता ने कांवड़ यात्रा का सम्मान किया
निरा जंगलों में भी पानी का ध्यान दिया।
कांवड़ यात्रियों के ठहरने के इंतजाम हुआ
हर हर महादेव नारे ने रस्ते गूंजायमान किया।
काशी में गंगाजल से शिव को स्नान कराया
हृदय में श्रद्धा भाव से मन में विश्वास जगाया।
बम बम भोले करते लोगों का मन हर लेते हैं
उनके इन गीतों से राहों के फूल खिल जाते हैं।
भक्तों गायो जिसमें शिव की लय हो
कैलाश पर्वत से जय जय जयघोष हो।।
- सुख मंगल सिंह
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