"कृष्ण जन्माष्टमी"
माखन भोग लगाता छोरा ,
सहित सुदामा औ बनवारी।
मुख्य मंडल ब्रहमांड जिनका,
दुनिया कहती कृष्ण मुरारी।
रोहिणी नक्षत्र में था अवतरित,
अखिल ब्रम्हांड नायक गोपाल।
सर्प - पाप को हरने वाली होती,
रोहिणी अष्टमी की तिथि आप।
द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने,
हां कारागार में जन्म लिया।
घमंडी पापी दुराचारी कंस का,
विनाशक बनकर संघार किया।
रत्न जड़ित बांसुरी अधर धर,
सुस्वर में मनमोहक ख़ुमारी ।
नंदवंश की शोभा बढ़ाता,
नंद नंदन कहते नर - नारी ।
मोर मुकुट परिधान निराला,
वंशी झंकृत करती सुर बाला।
मधुर धुन में गोपियां रिझाया,
छोरा मुरली वाला नंदलाला।
सिलवर के झुले पर झूल रहे,
कृष्ण मुरारी नटवर गिरधारी।
कांहा को सजाने चली सारी,
गोकुल गोपियां की तैयारी।।
- सुख मंगल सिंह
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