Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मैं एक आदमी हूं

 
मैं एक आदमी हूं, एक साधारण नाम,
एक जीवन जीने की चाह, एक सपनों का संगम।
मेरी आंखों में आशा, मेरे दिल में प्यार,
मैं एक आदमी हूं, एक इंसान, एक इंसान की तरह।


मेरे कदम धीरे धीरे, मेरी आवाज मधुर,
मेरी बातें सच्ची, मेरी भावनाएं पवित्र।
मैं एक आदमी हूं, एक परिवार का सदस्य,
एक पति का प्यार, एक पिता का स्नेह।


मेरे सपने बड़े बड़े, मेरी इच्छाएं पूरी,
मैं एक आदमी हूं, एक जीवन का संग्राम।
मैं लड़ता हूं, मैं जीतता हूं, मैं हारता हूं,
लेकिन मैं कभी हार नहीं मानता, मैं एक आदमी हूं।


मेरी गलतियां कई, मेरी कमियां भी कई,
लेकिन मैं सीखता हूं, मैं सुधरता हूं, मैं बढ़ता हूं।
मैं एक आदमी हूं, एक इंसान की तरह,
मैं जीवन का आनंद लेता हूं, मैं जीवन का संग्राम करता हूं।


मैं एक आदमी हूं, एक साधारण नाम,
लेकिन मेरी कहानी अद्वितीय, मेरी जीवन यात्रा अनोखी।


इस रचना में आदमी की भावनाओं, संघर्षों, और जीवन के अनुभवों को व्यक्त किया गया है। यह रचना आदमी की सादगी और उसकी जीवन यात्रा की विशेषता को दर्शाती है।
सुख मंगल सिंह



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