Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

ऊँ सूर्य देवाय नम:

 

ऊँ सूर्य देवाय नम:

ऊँ सूर्य देवाय नम:

गुणवंत: क्लिश्यन्त: प्रायेण

भवन्ति निर्गुणा: सुखिनः

बन्धनमायान्ति शुका:

यथेष्टसन्चारिण: काका:।

अर्थात गुणवान को क्लेश भोगना पड़ता है।

और निर्गुण सुखी रहता है। जैसे तोते को पिजरे

में डाल दिया जाता है किंतु काग आकाश में स्वच्छंद

विचरण करता है।

- सुख मंगल सिंह'मंगल'  

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ