परियों की कहानी
परियों की कथा जिसने आज तक सुनी नहीं है
आवाज उसकी सुनी अपने टीचर जैसी लगी।
दादी ने कभी नहीं परियों राक्षसकी कथा कही
माँ कहानी सुनने की मंगल से हठ करती रही।
टीचर कह रही थी बच्चों परियां धरा पर उड़ती
पंख बिहीन तोभी जादू के छड़ी के काम करतीं।
तुम्हें आकाश में परियां केवल घुमा सकतीं हैं
सुंदर दृश्य दिखा सकती हैं और खिला सकती हैं।
परियों की कथा जिसमें आज तक सुनी नहीं
आवाज उसकी सुनी अपने टीचर जैसी लगी। ।
टीचर कहाती तुम सबने अपनी माँ को देखी है
वह तुम्हें किसी परी से कम क्या मा लगती है।
देर रात को जब भी कभी वह मा सो जाती है
सुबह उठकर जल्दी से सब कार्य पूरा करती है।
तुम्हें तुम्हारे स्कूल की पुरी तैयारी करवाती है
भोजन बनाती घर वालों की जिम्मेदारी नीभाती।
परियों की कथा जिसने आज तक सुनी नहीं है
आवाज उसकी सुनी तो अपने टीचर जैसी लगी। ।
गलत रस्ते पर जाने से बच्चों को रोकती है
तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य के सपने देखती है।
सहनशील परियां जिस परिवार से जुड़ जातीं
अंत तक उस परिवार की उसकी सेवा करतीं।
बच्चों धरती की इन परियों का सम्मान करो
भगवान के पास गईं तुम बेसहारा हो जाओगे।
परियों का दिल दुखाओगे तो शाप नहीं देतीं
परियां बच्चों और सभी को आशीर्वाद देतीं हैं।
परियों की कथा जिसने आज तक सुनी नहीं है
आवाज उनकी सुनी तो अपने टीचर जैसी लगी। ।
- सुख मंगल सिंह
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