सरयू का उद्गम
सरयू - गंगा दोनों बहनों का
हिमालय में उद्गम - स्थल है
काली नदी नाम धारण कर
बहुत दूर तक वही पहल है
घाघरा नाम कहावत का
कवि हूँ मैं सरजू - तट का
राम- लक्ष्मण – भरत – शत्रुघ्न
चारों पुत्रों ने जन्म लिया
चांडीपुर ,चंद्रिका धाम में जाकर
गुरुजनों से शिक्षा ग्रहण किया
ज्ञान मिला हमको घट –घट का
कवि हूँ मैं सरयू - तट का
कवि हूँ मैं सरयू तट का
गंगा – सरयू मिलन जहां पर
सभी वहाँ खेलने जाते थे
और वहीं आखेट की विद्या
गुरु शृंगी से पाते थे
रहा नहीं कोई भी खटका
कवि हूँ मैं सरयू - तट का
विश्वामित्र यज्ञ- रक्षा को
श्री राम – लक्ष्मण हुये रवाना
ताड़का और सुबाहु जब मरा
खुशियों का न रहा ठिकाना
ध्यान लगाये जनकपुर – गंगा तट का
कवि हूँ मैं सरयू - तट का-
कवि हूँ मैं सरयू तट का |- सुखमंगल सिंह
--
Sukhmangal Singh
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY