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Dr. Srimati Tara Singh
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सावनी अमावस्या

 
सावनी अमावस्या
बाद कामदा एकादशी के लिए
कृष्ण पक्ष में अमावस्या आती है
सावन की हरियाली लिए मन भाती
भक्त गणों से शिव पूजन कराती है। 

शिव संग में पर्वती की पूजा कराती
सावन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी! 
निशा काल में इस दिन पूजा होती है
साधकों को साधना ही मन में भाती।

जो भक्त सावन में शिव - शिव जपते 
सभी कामनाएं उनकी पूर्ण हो जाती है
यूं तो सकल माह शिव पूजन का होता है
जिससे न हो अमावस को पूजन करतें। 

चारों दिशाओं में हरियाली बनी रहे
घर- घर से व्यक्ति एक पौधा लगाएं
फलदार छायादार वृक्ष होता फलदाई
वृक्ष वातावरण  प्रदूषण मुक्त कराई। 

गणेश पूजन बाद शिव जलाभिषेक करें
विधिवत शिव जी को चंदन और लेप करें
शहद दही भस्म जनेऊ विल्व पत्र चढ़ाएं
ऊँ नम: शिवाय के  मंत्र जब करते जाए। 

परमात्मा का एक रूप प्रकृति भी  है
उस प्रकृति की रक्षा करना  कर्तव्य  है
प्रकृति हम सबको जीवन दान देती है
हम लोग प्रकृति को धन्यवाद देते रहे ं। 

यह अमावस्या कृष्ण पक्ष में आती है
इस पक्ष में दैत्य पितर आत्माएं सक्रिय
चारों तरफ वे सक्रिय हो अनिष्ट चाहती 
रात्रि में धार्मिक मांगलिक कार्य न करें।

चंद्रमा मन जल  का देवता होता है
अमावस्या को वह दिखाई नहीं देता
जिससे लोग अधिक भावुक होते हैं
नाकारात्मक सोच से प्रभावित होते। 

जब दानवी आत्माएं सक्रिय रहतीं 
उसका प्रभाव मनुष्य में बढ़ जाता है
एसलिए मन को धर्म में लगाए रखें
नाकारात्मक प्रभाव से बचाए रखें।। 
- सुख मंगल सिंह


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