सावनी अमावस्याबाद कामदा एकादशी के लिएकृष्ण पक्ष में अमावस्या आती हैसावन की हरियाली लिए मन भातीभक्त गणों से शिव पूजन कराती है।शिव संग में पर्वती की पूजा करातीसावन के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी!निशा काल में इस दिन पूजा होती हैसाधकों को साधना ही मन में भाती।जो भक्त सावन में शिव - शिव जपतेसभी कामनाएं उनकी पूर्ण हो जाती हैयूं तो सकल माह शिव पूजन का होता हैजिससे न हो अमावस को पूजन करतें।चारों दिशाओं में हरियाली बनी रहेघर- घर से व्यक्ति एक पौधा लगाएंफलदार छायादार वृक्ष होता फलदाईवृक्ष वातावरण प्रदूषण मुक्त कराई।गणेश पूजन बाद शिव जलाभिषेक करेंविधिवत शिव जी को चंदन और लेप करेंशहद दही भस्म जनेऊ विल्व पत्र चढ़ाएंऊँ नम: शिवाय के मंत्र जब करते जाए।परमात्मा का एक रूप प्रकृति भी हैउस प्रकृति की रक्षा करना कर्तव्य हैप्रकृति हम सबको जीवन दान देती हैहम लोग प्रकृति को धन्यवाद देते रहे ं।यह अमावस्या कृष्ण पक्ष में आती हैइस पक्ष में दैत्य पितर आत्माएं सक्रियचारों तरफ वे सक्रिय हो अनिष्ट चाहतीरात्रि में धार्मिक मांगलिक कार्य न करें।चंद्रमा मन जल का देवता होता हैअमावस्या को वह दिखाई नहीं देताजिससे लोग अधिक भावुक होते हैंनाकारात्मक सोच से प्रभावित होते।जब दानवी आत्माएं सक्रिय रहतींउसका प्रभाव मनुष्य में बढ़ जाता हैएसलिए मन को धर्म में लगाए रखेंनाकारात्मक प्रभाव से बचाए रखें।।- सुख मंगल सिंह
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