आदित्य की आराधना मंगल करता
कीर्ति सेतु चहुं ओर आकर्षित करती ।
सूर्य देव नवग्रहों के राजा कहलाते
सरकारी नौकरी के अवसर दिलाता।
मान - सम्मान नेतृत्व क्षमता बढ़ाता
सूर्य कुंडली में जब प्रबल हो जाता।
आदि काल से सूर्य की आराधना होती
सब लोकों में ऊर्जा के केंद्र माने जाते।
प्रत्यक्ष देवता सूर्य को माना जाता है
जल चढ़ाकर सम्मान किया जाता है।
सूर्य देव शक्ति और स्फूर्ति भर देता है
सफलता का मार्ग प्रशस्त कर देता है।
अपुन दोऊ हाथ उठाकर सूर्यदेव को
मुख मुस्कान के साथ लालिमा निहारौ।
प्रभु श्री राम के पूर्वज भी सूर्यवंशी थे
कृष्ण पुत्र सांब भी सूर्य उपासक थे।
नित नित्य कवित्य करै सूरज के बल
कुष्ठ रोग को प्रभाव रवि ने दूर करारों।
जिस पर कृपा सूरज देव ने होती है
बिगड़े हुए सभी काम बन जाता है।
बाधाएं रास्ते से दूर होनें लगती हैं
और धन प्राप्ति का योग बनता है।
सूर्य देव तमाम दुखों को दूर कर देता
संतान हीन व्यक्ति को संतान दे देता।
वह अच्छी सेहत का आशीर्वाद देता
सूर्य आराधना से अक्षय फल मिलता।
कह्वौ 'मंगल' सूरज की कीर्ति जब लौ
इस धरती पर जीवन यापन हौ मानौ।ं
शोहरत ललना लाल संग प्रीति तबै
बल बुद्धि विद्या जब लग सूरज मानौ।।
- सुख मंगल सिंह
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