वंदना माता रानी की
मेरे मन मंदिर में भक्ति की ज्योति जलाओ मां
मां बिखरे जीवन को मेरे सलीके से सजाओ मां।
तेरी शरण में मन लगा है चरणों में जगह दो माँ
भाये मेरे मन मंदिर को सदा तेरी भक्ति निरंतर माँ।
तेरी दर पर जो भी आता सुखों से वह भर जाता
सभी गुना की खान माता भक्ति की धाम माता।
जो कोई भी भूला -भटका तेरे दर पर है आता
तू उसकी झोली भर देती तू कल्याणी हो माता।
मंगल मन से तेरी शरण में कब का आया माता
अपनी कृपा दृष्टि बरसा दो मेरे ऊपर मेरी माता।
मेरे मन मंदिर में भक्ति की ज्योति जला दो माता
मेरे बिखरे हुए जीवन को फिर से सजा दो माता।
निर्मल मन से तेरे नाम का गुणगान करूंगा माँ
अपने मन मंदिर में माता तेरा ध्यान करूंगा माँ
भक्ति की ज्योति से दुनिया का कल्याण करूंगा
बिखरे हुए जीवन को सजा नव मुकाम दो मां।।
- सुख मंगल सिंह
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