याद आता है
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देश धर्म की बलि वेदी पर
त्याग भरा बलिदान शौर्य का
याद आता है याद आता है।
कथनी तज करनी हैं करते
ध्जव का मान सदा हैं रखते
प्राणों की आहुति दे कर वे
फांसी दुल्हन मांग हैं भरते।
अल्हड़ पन उस महापर्व का -
याद आता है याद आता है।
देश धर्म की बलि वेदी पर
त्याग भरा बलिदान शौर्य का
याद आता है याद आता है।
रजनी की तनहायी में भी
पत्ता खड़का बंदा भड़का
आतंकी उन्माद का प्यारे -
वीरों ने लगाया तड़का!
वीरांगनाओं की करनी भी
उन वीरों संग -
याद आता है याद आता है।
देश धर्म की बलिवेदी पर
त्याग भरा बलिदान शौर्य का
याद आता है याद आता है।।
- सुख मंगल सिंह
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